Monday 4 April 2016

खाइये बाजरा और रहेंगे हड्डियों के रोग से सुरक्षित



बाजरे की रोटी का स्वाद जितना अच्छा है, उससे अधिक उसमें गुण भी हैं।

1 --- बाजरे की रोटी खाने वाले को हड्डियों में कैल्शियम की कमी से पैदा होने वाला रोग आस्टियोपोरोसिस और खून की कमी यानी एनीमिया नहीं होता।
2 --- बाजरा लीवर से संबंधित रोगों को भी कम करता है।
3 --- गेहूं औरचावल के मुकाबले बाजरे में ऊर्जा कई गुना है।
4 --- बाजरे में भरपूर कैल्शियम होता है जो हड्डियों के लिए रामबाण औषधि है। उधर आयरन भी बाजरे में इतना अधिक होता है कि खून की कमी से होने वाले रोग नहीं हो सकते।
5 --- खासतौर पर गर्भवती महिलाओं ने कैल्शियम की गोलियां खाने के स्थान पर रोज बाजरे की दो रोटी खाना चाहिए।
6 --- वरिष्ठ चिकित्साधिकारी मेजर डा. बी.पी. सिंह के सेना में सिक्किम में तैनाती के दौरान जब गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम और आयरन की जगह बाजरे की रोटी और खिचड़ी दी जाती थी। इससे उनके बच्चों को जन्म से लेकर पांच साल की उम्र तक कैल्शियम और आयरन की कमी से होने वाले रोग नहीं होते थे।
7 --- इतना ही नहीं बाजरे का सेवन करने वाली महिलाओं में प्रसव में असामान्य पीड़ा के मामले भी न के बराबर पाए गए।
8 --- डाक्टर तो बाजरे के गुणों से इतने प्रभावित है कि इसे अनाजों में वज्र की उपाधिदेने में जुट गए हैं।
9 --- बाजरे का किसी भी रूप में सेवन लाभकारी है।
10 --- लीवर की सुरक्षा के लिए भी बाजरा खाना लाभकारी है।
11 --- उच्च रक्तचाप, हृदय की कमजोरी, अस्थमा से ग्रस्त लोगों तथा दूध पिलाने वाली माताओं में दूध की कमी के लिये यह टॉनिक का कार्य करता है।
12 --- यदि बाजरे का नियमित रूप से सेवन किया जाय तो यह कुपोषण, क्षरण सम्बन्धी रोग और असमय वृद्धहोने की प्रक्रियाओं को दूर करता है।
13 --- रागी की खपत से शरीर प्राकृतिक रूप से शान्त होता है। यह एंग्जायटी, डिप्रेशन और नींद न आने की बीमारियों में फायदेमन्द होता है। यह माइग्रेन के लिये भी लाभदायक है।
14 --- इसमें लेसिथिन और मिथियोनिन नामक अमीनो अम्ल होते हैं जो अतिरिक्त वसा को हटा कर कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करते है।
15 --- बाजरे में उपस्थित रसायन पाचन की प्रक्रिया को धीमा करते हैं। डायबिटीज़ में यह रक्त में शकर की मात्रा को नियन्त्रित करने में सहायक होता है।

Sunday 3 April 2016

शहद में छिपा है सेहत का राज़


शहद के फायदे :


शहद में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, अमीनो एसिड, प्रोटीन और खनिज पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। जोकि सेहत के लिए जरूरी होते हैं।

शहद में ग्लूकोज पाया जाता है। साथ ही शहद में पाए जाने वाले  विटामिन शरीर के भीतर जाते ही कुछ ही समय में घुल जाते  है।

बच्चों की खांसी दूर करने के लिए अदरक के रस में शहद मिलाकर देने से खांसी में आराम मिलता है। सूखी खांसी में भी शहद और नींबू का रस लेने से फायदा होता है।


जी मिचला रहा हो या फिर उल्टी आने की शिकायत हो तो शहद लेना चाहिए।

शहद के सेवन से कब्ज भी दूर होती है। कब्ज की शिकायत होने पर टमाटर या संतरे के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर खाने से लाभ होता है।

यदि आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो रात में दूध में शहद डालकर पियें ।

मांसपेशी मजबूत करनी हो, ब्लड प्रेशर सामान्य करना हो या हीमोग्लोबिन बढ़ाना हो तो  शहद का इस्तेमाल करें ।


अगर आप थकान महसूस करते हैं या फिर आपको एनीमिया है तो आप नियमित रूप से शहद का सेवन कर इस बीमारी को दूर कर सकते हैं ।

वजन बढ़ाने और  वजन घटाने के लिए भी शहद लाभकारी है। आप यदि गुनगुने पानी में नींबू और शहद मिलाकर सुबह खाली पेट लेंगे तो कुछ ही समय में आप अपना वजन कम होते हुए देख सकते हैं।


आर्थराइटिस के दर्द से निजात पानी हो या फिर जोड़ों में अधिक दर्द हो तो शहद में दालचीनी का पाउडर मिलाकर मसाज करना चाहिए इस से दर्द दूर हो जायेगा ।

जुकाम दूर करने के लिए शहद, अदरक और तुलसी के पतों का रस बराबर मात्रा में मिलाकर चाटने से राहत मिलती है।

यदि आपको ठीक तरह से नींद नहीं आती है तो रात को दो चम्मच शहद खाकर सोना लाभकारी होता है ।

गर्भावस्था के दौरान शहद का सेवन करने से होने वाला बच्चा स्वस्थ एवं मानसिक तौर से तेज़ होता है ।

त्वचा के जल जाने, कट जाने या छिल जाने पर भी शहद लगाने से लाभ मिलता है।


आखों में रोज 1-2 शहद की बूंद डालने से आखों की रोशनी बढ़ती है।

शहद का रोजाना सेवन करने से दिल और दिमाग की शक्ति बढ़ती है।

शहद को अनार के रस में मिलाकर लेने से दिमागी कमजोरी, सुस्ती, निराशा तथा थकावट आदि दूर होते है


दिल के लिए भी शहद गुणकारी है, मीठी सौंफ  के साथ 1-2 चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से दिल को मजबूत तो करता ही है। दिल को सुचारू रूप से कार्य करने में भी मदद करता है।

कैसे करें असली शहद की पहचान :


कांच के गिलास में पानी भरकर शहद की एक बूंद टपकाने के बाद सीधी तली तक जाकर बैठ जाए तो शहद शुद्ध होगा। शहद की एक बूंद लकड़ी या किसी प्लेट पर टपका दें, आग लगा दें, असली शहद तत्काल जलेगा, नकली देर से जलेगा।

शुद्ध शहद सुगंधित होता है, जाड़े में जम जाता है, गर्मी में पिघल जाता है।  शुद्ध शहद क दाग नहीं लगता। किसी प्लेट पर चार बूंद टपकाएं को नीचे सांप की कुंडली जैसी बन जाती है।

शुद्ध शहद में मक्खी के पंख फंसेंगे नहीं। आंख पर लगाने से जलन करेगा, लेकिन चिरमिराहट नहीं करेगा, बल्कि थोड़ी देर बाद ठंड़क देगा। देखने में पारदर्शी व साफ नजर आता है।

सावधान रहें शहद का सेवन करते वक़्त :


गर्म करके गर्म पदार्थों के साथ  सेवन नहीं करना चाहिए।

गर्म किया शहद, गर्म पदार्थ एवं जो छूने में गर्म लगे ऐसे पदार्थों के साथ दिया शहद एकदम हानिप्रद साबित होता है।

दूध व जल के  साथ सेवन करते  समय दोनों वस्तुएं ठंडी होना चाहिए।

शहद व घी समान मात्रा में मिलाकर कभी भी सेवन नहीं करना चाहिए।

जल भी समान मात्रा में नहीं होना चाहिए।

घी की मात्रा 1/4 चौथाई व पानी की चार गुना होना चाहिए।







Saturday 2 April 2016

जानिए कितनी परेशानियों का उपाय है आपका रसोई घर



कई घरेलू चीजें ऐसी हैं जिनका उपयोग करके हम छोटी-छोटी समस्याओं को आसानी से ठीक कर सकते हैं। बस जरूरत है तो कुछ किचेन में उपयोग होने वाले सामानों की ।

उपचार :

1. मक्खन में थोड़ा सा केसर मिलाकर रोजाना लगाने से काले होंठ भी गुलाबी होने लगते हैं।
2. मुंह की बदबू से परेशान हों तो दालचीनी का टुकड़ा मुंह में रखें। मुंह की बदबू तुरंत दूर हो जाती है।
3. लहसुन के तेल में थोड़ी हींग और अजवाइन डालकर पकाकर लगाने से जोड़ों का दर्द दूर हो जाता है।
4. लाल टमाटर और खीरा के साथ करेले का जूस लेने से मधुमेह दूर रहता है
5. अजवाइन को पीसकर उसका गाढ़ा लेप लगाने से सभी तरह के चमड़ी के रोग दूर हो जाते हैं।

6. ऐलोवेरा और आंवला का जूस मिलाकर पीने से खून साफ होता है और पेट की सभी बीमारियां दूर होती हैं।
7. बीस ग्राम अांवला और एक ग्राम हल्दी मिलाकर लेने से सर्दी और कफ की तकलीफ में तुरंत आराम होता है
8. शहद आंवले का जूस और मिश्री सभी दस - दस ग्राम मात्रा में लेकर बीस ग्राम घी के साथ मिलाकर लेने से यौवन हमेशा बना रहता है।
9. अजवाइन को पीसकर और उसमें नींबू का रस मिलाकर लगाने से फोड़े-फुंसी दूर हो जाते हैं।
10. बहती नाक से परेशान हों तो युकेलिप्टस का तेल रूमाल में डालकर सूंघे। आराम मिलेगा।
11. बीस मिलीग्राम आंवले के रस में पांच ग्राम शहद मिलाकर चाटने से आंखों की ज्योति बढ़ती है।
12. रोज सुबह खाली पेट दस तुलसी के पत्तों का सेवन करने से शरीर स्वस्थ रहता है।
13. यदि आप कफ से पीड़ित हों और खांसी बहुत परेशान कर रही हो तो अजवाइन की भाप लें। कफ बाहर हो जाएगा।
14. अदरक का रस और शहद समान मात्रा में मिलाकर लेने से सर्दी दूर हो जाती है
15. थोड़ा सा गुड़ लेने से कई तरह के रोग दूर होते हैं, लेकिन इसे ज्यादा नहीं खाना चाहिए चाहे ये कितना ही अच्छा लगता हो।
16. रोज खाने के बाद छाछ पीने से कोई रोग नहीं होता है और चेहरे पर लालिमा आती है।
17. छाछ में हींग, सेंधा नमक व जीरा डालकर पीने से हर तरह के रोग दूर हो जाते हैं।
18. नीम के सात पत्ते खाली पेट चबाने से डायबिटीज दूर हो जाती है।
19. 20 ग्राम गाजर के रस में 40 ग्राम आंवला रस मिलाकर पीने से ब्लड प्रेशर और दिल के रोगों में अाराम मिलता है।
20. बेसन में थोड़ा सा नींबू का रस, शहद और पानी मिलाकर लेप बनाकर लगाने से चेहरा सुंदर और आकर्षक लगता है।
21. चौलाई और पालक की सब्जी भरपूर मात्रा में खाने से जवानी हमेशा बनी रहती है।
22. शहद का सेवन करने से गले की सभी समस्याएं दूर होती हैं और आवाज मधुर होती
है।
23. सर्दी लग जाए तो गुनगुना पानी पिएं। राहत मिल जाएगी।
24. छाछ में पांच ग्राम अजवाइन का चूर्ण मिलाकर लेने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
25. सुबह- शाम खाली पेट जामुन की गुठली का रस पीने से डायबिटीज में आराम मिलता है।
26. पित्त बढ़ने पर घृतकुमारी और आंवले का रस मिलाकर पिएं। राहत मिलेगी।
27. दालचीनी का पाउडर पानी के साथ लेने पर दस्त में आराम हो जाता है।
28. गुड़ में थोड़ी अजवाइन मिलाकर लेने से एसिडिटी में राहत मिलती है।

Typhoid (मियादी बुखार) के लक्षण और उपचार :



 मियादी बुखार ( Typhoid ) का कारण क्या है और यह कैसे फैलता हैं ?

1. Typhoid बुखार का फैलाव संक्रमित पानी और खाद्यपदार्थ से होता हैं।
2. Typhoid बुखार से पीड़ित व्यक्ति के मल, मूत्र और रक्त में यह बैक्टीरिया रहता हैं। पीड़ित व्यक्ति के मल-मूत्र से दूषित पानी के कारण Typhoid बुखार फैलने की अधिक संभावना रहती हैं।
3. Typhoid बुखार दूषित पानी से नहाने से और ऐसे दूषित पानी से खाद्यपदार्थ धोकर खाने से भी फैलता हैं।
यह बैक्टीरिया पानी में कई हफ्तों तक जीवित रह सकता हैं। लगभग 3% से 5% Typhoid बुखार से पीड़ित व्यक्ति कोई लक्षण न होने के बावजूद भी Typhoid बुखार फैला सकते हैं।
4. Typhoid बुखार से पीड़ित व्यक्ति के झूटे खाने-पिने से भी Typhoid हो सकता हैं।
5. Typhoid बैक्टीरिया से संक्रमित रक्त लगाने से भी हो सकता हैं।

इस बुखार के क्या क्या ( Symptoms )  लक्षण होते हैं ??


1. नियमित बढनेवाला तेज बुखार
2. बदनदर्द 
3. कमजोरी 
4. सिरदर्द, पेट दर्द 
5. कम भूक लगना 
6. बच्चो में दस्त की शिकायत 
7. बड़ो में कब्ज की शिकायत 
8. बीमारी अधिक बढ़ जानेपर आंतो में अल्सर हो सकते है और इनके फट जाने पर Operation की जरुरत पड़ सकती हैं। 

बुखार का निदान और इसको Diagnosis करने का तरीका निम्न प्रकार हैं ।

1. Typhidot Test : रोगी के रक्त का नमूना एक किट में डालकर जांच की जाती हैं। इसका परिणाम Positive आनेपर Typhoid बुखार का निदान किया जाता हैं।
2. Blood Culture : यह बिमारी के पहले हफ्ते में रक्त में Typhoid बुखार का बैक्टीरिया की मौजूदगी की जांच करने के लिए किया जाता हैं।
3. Stool Culture : यह रोगी व्यक्ति के मल में Typhoid बुखार का बैक्टीरिया की मौजूदगी की जांच करने के लिए किया जाता हैं।
4. WIDAL Test : इस जांच में रोगी व्यक्ति के रक्त की जांच की जाती हैं। इसमें O और H antigen में 180 से ज्यादा अनुपात आने पर Typhoid बुखार का निदान किया जाता हैं।
5. Sonography / Xray : पीड़ित व्यक्ति पेट को अधिक पेट दर्द और उलटी होने पर आंतो में अल्सर का निदान करने हेतु यह जांच की जाती हैं।
ज़रूरत पड़ने पर इसके इलावा डॉक्टर की सलाह अनुसार और अन्य जांच की आवश्यकता पड़ सकती है



Typhoid बुखार का ईलाज :

* Typhoid बुखार का ईलाज करने के लिए Antibiotics का इस्तेमाल किया जाता हैं।
पहले के ज़माने लगभग 20% Typhoid बुखार के रोगियों की मृत्यु हो जाती थी परंतु अब ज्यादा असरदार
Antibiotics का उपयोग करने के कारण सिर्फ 1 से 2% रोगियों की ही मृत्यु होती है और वह भी किसी बड़े complication के कारण होती हैं।

* अगर पीड़ित व्यक्ति को ज्यादा कमजोरी नहीं है और आहार अच्छे से ले रहा है तो घर पर भी Antibiotics दवा लेकर Typhoid बुखार का ईलाज किया जा सकता हैं। कम से कम 2 हफ्तों तक Typhoid बुखार की दवा लेना होता हैं।

* अधिक कमजोरी और उलटी, दस्त इत्यादि समस्या होने पर हॉस्पिटल में दाखिल होकर ईलाज कराना जरुरी होता हैं।
* Typhoid बुखार के कारण आंतो में अल्सर होने पर जरुरत पड़ने पर operation भी किया जाता हैं।

Typhoid बुखार से बचने के लिए क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?

Typhoid vaccine / लसीकरण : Typhoid बुखार से बचने के लिए दो तरह की vaccine उपलब्ध हैं। पहले तरह की Typhoid vaccine में injection दिया जाता है। यह vaccine 2 वर्ष से ऊपर के आयु के व्यक्तिओ में ही दी जाती हैं। दूसरी तरह की Typhoid vaccine में 4 गोलिया दी जाती है जिसमे से एक गोली एक दिन छोड़कर (1, 3, 5, 7) खाना होता हैं। यह vaccine 6 वर्ष से ऊपर के व्यक्तिओ में ही दी जाती हैं। इन दोनों vaccine का असर 2 हफ्ते बाद होता है और Typhoid बुखार के खिलाफ कुछ प्रमाण में प्रतिरोध शक्ति का निर्माण होता हैं। याद रहे की यह दोनों vaccine से 100% सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती हैं।

पानी : पिने के लिए हमेशा स्वच्छ पानी का उपयोग करे। अगर घर में RO नहीं है तो पानी को कम से कम 1 मिनिट उबाले और बाद में ठंडा होने के बाद में ही उपयोग करे। अगर कही बाहर सफ़र कर रहे है तो बोतलबंद पानी का उपयोग करे। घर में सब्जी / फल को साफ़ करने के लिए भी स्वच्छ पानी का ही इस्तेमाल करे। बाहर मिलने वाले बर्फ का इस्तेमाल न करे।

हात धोना : हमेशा खाना बनाने या खाने से पहले और बाथरूम के बाद अच्छे साबुन से हात धोना चाहिए।हात धोते समय साबुन से अच्छा झाग बनाकर १५ सेकंड तक बहते पानी में हात को अच्छी तरह से धोए और बाद में स्वच्छ कपडे से हात को अच्छी तरह से साफ़ करे। नल बंद करने के लिए उसी साफ कपडे का इस्तेमाल करे जिससे हात को दुबारा दूषण (Contamination) न हो। अगर पानी उपलब्ध नहीं है तो अपने साथ हात साफ़ रखने के लिए Hand sanitizer पास रखे।

आहार : घर में बना स्वच्छ, गर्म और पौष्टिक आहार लेना चाहिए। बाजार में और रस्ते पर बिकनेवाले आहार पदार्थो से परहेज करे।

रोगी : अगर आपको Typhoid बुखार हैं तो आपने हमेशा अपने हात साफ़ और स्वच्छ रखना चाहिए। आपके कपडे, चद्दर, तौलिया इत्यादि गर्म पानी और साबुन से धोना चाहिए। आपने अन्य खाद्य पदार्थो को नहीं छूना चाहिए और औरो के लिए खाना नहीं पकाना चाहिए।



Friday 1 April 2016

पायरिया को करें दूर घरेलू उपचार से




दांतों का एक बहुत ही प्रचलित रोग है पायरिया। पायरिया दाँतों की एक गंभीर बीमारी होती है जो दाँतों के आसपास की मांसपेशियों को संक्रमित करके उन्हें हानि पहुँचाती है। यह बीमारी स्वास्थ्य से जुड़े अनेक कारणों से होती है, और सिर्फ दांतों से जुड़ी समस्याओं तक सीमित नहीं होतीं। यह बीमारी दाँतों और मसूड़ों पर निर्मित हो रहे जीवाणुओं के कारण होती है।दांतों की साफ सफाई में कमी होने से जो बीमारी सबसे जल्दी होती है वो है पायरिया। सांसों की बदबू, मसूड़ों में खून और दूसरी तरह की कई परेशानियां। जाड़े के मौसम में पायरिया की वजह से ठंडा पानी पीना मुहाल हो जाता है। पानी ही क्यों कभी-कभी तो हवा भी दांतों को सिहरा देता है।

पायरिया के लक्षण और कारण:

नियमित आहार और दाँतों की रक्षा में रुक्षांस की कमी या पूर्ण रूप से अभाव, दाँतों में खान पान के कण अटकना और दाँतों का सड़ना, दाँतों पर अत्यधिक मैल जमना, मुँह से दुर्गन्ध का निकलना और मुँह में अरुचिकर स्वाद का निर्माण होना, जीवाणुओं का पसरण, मसूड़ों में जलन का एहसास होना और छालों का निर्माण होना, जरा सा छूने पर भी मसूड़ों से रक्तस्राव होना इत्यादि पायरिया के लक्षण होते हैं।असल में मुंह में 700 किस्म के बैक्टीरिया होते हैं। इनकी संख्या करोड़ों में होती है। अगर समय पर मुंह, दांत और जीभ की साफ-सफाई नहीं की जाए तो ये बैक्टीरिया दांतों और मसूड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। पायरिया होने पर दांतों को सपोर्ट करने वाले जॉ बोन को नुकसान पहुंचता है।

पायरिया के आयुर्वेदिक उपचार:

1. नीम के पत्ते साफ कर के छाया में सुखा लें। अच्छी तरह सूख जाएँ तब एक बर्तन में रखकर जला दें और बर्तन को तुरंत ढँक दें। पत्ते जलकर काले हो जाएँगे और इसकी राख काली होगी। इसे पीसकर कपड़छान कर लें। जितनी राख हो, उतनी मात्रा में सेंधा नमक पीसकर शीशी में भर लें। इस चूर्ण से तीन-चार बार मंजन कर कुल्ले कर लें। भोजन के बाद दाँतों की ठीक से सफाई कर लें। यह नुस्खा अत्यंत गुणकारी है।
2. चुटकी भर सादा नमक चुटकी भर हल्दी में चार पांच बुंद सरसों का तेल मिला कर उंगली से दांतों पर लगाकर 20 मिनट तक रखें लार आवे तो थुकते रहें लिजिये सर पायरिया एक ही दिन में ठीक हो जावेगा तथा ज्यादा ही पुराना है तो 3 दिन लगेगें व रोज करेंगें तो जिदंगी भर वापस नहीं होगा। साथ में त्रिफला गुग्गल की 1 से 3 दिन में तीन बार लें और रात में 1 से 3 ग्राम त्रिफला का सेवन करें।
3. अपने दाँत नीम के दातुन से ब्रश करें।
4. कच्चे अमरुद पर थोडा सा नमक लगाकर खाने से भी पायरिया के उपचार में सहायता मिलती है, क्योंकि यह विटामिन सी का उम्दा स्रोत होता है जो दाँतों के लिए लाभकारी सिद्ध होता है।
5. घी में कपूर मिलाकर दाँतों पर मलने से भी पायरिया मिटाने में सहायता मिलती है।
6. काली मिर्च के चूरे में थोडा सा नमक मिलाकरदाँतों पर मलने से भी पायरिया के रोग से छुटकारा पाने के लिए काफी मदद मिलती है।
7. 200 मिलीलीटर अरंडी का तेल, 5 ग्राम कपूर, और 100 मिलीलीटर शहद को अच्छी तरह मिला दें, और इस मिश्रण को एक कटोरी में रखकर उसमे नीम के दातुन को डुबोकर दाँतों पर मलें और ऐसा कई दिनों तक करें। यह भी पायरिया को दूर करने के लिए एक उत्तम उपचार माना जाता है।
8. आंवला जलाकर सरसों के तेल में मिलाएं,इसे मसूड़ों पर धीरे-धीरे मलें।
9.खस, इलायची और लौंग का तेल मिलाकर मसूड़ों में लगाएं।
10. जीरा, सेंधा नमक, हरड़, दालचीनी, दक्षिणी सुपारी को समान मात्रा में लें, इसे बंद बर्तन में जलाकर पीस लें,इस मंजन का नियमित प्रयोग करें।

11. सादी तम्बाकू, पर्याप्त मात्रा में लेकर तवे पर काला होने तक भूनें। फिर पीसकर कपड़छान कर महीन चूर्ण कर लें। इसके वजन से आधी मात्रा में सेंधा नमक और फिटकरी बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और तीनों को मिलाकर तीन बार छान लें, ताकि ये एक जान हो जाएँ।
इस मिश्रण को थोड़ी मात्रा में हथेली पर रखकर इस पर नीबू के रस की 5-6 बूँदें टपका दें। अब इससे दाँतों व मसूढ़ों पर लगाकर हलके-हलके अँगुली से मालिश करें। यह प्रयोग सुबह और रात को सोने से पहले 10 मिनट तक करके पानी से कुल्ला करके मुँह साफ कर लें।जो तम्बाकू का प्रयोग नहीं करते उन्हें इसके प्रयोग में तकलीफ होगी। उन्हें चक्कर आ सकते हैं। अत: सावधानी के साथ कम मात्रा में मंजन लेकर प्रयोग करें।


बचाव और सावधानियाँ :

1. कब्ज़ियत से बचें। गर्म पानी में एप्सम सॉल्ट मिलाकर नहाने की भी सलाह दी जाती है।
2. दिन में दो बार दाँतों को सही और नियमित रूप से ब्रश करना बहुत ज़रूरी होता है। शरीर में मौजूद विषैले तत्वों के निष्काशनके लिए पानी का सेवन भरपूर मात्रा में करें। विटामिन सी युक्त फल, जैसे कि आंवला, अमरुद, अनार, और संतरे का भी सेवन भरपूर मात्रा में करें।
3. पायरिया के इलाज के दौरान रोगी को मसाले रहित उबली सब्ज़ियों का ही सेवन करें।
4. मसालेदार खान पान, जंक फ़ूड और डिब्बाबंद आहार का सेवन बिल्कुल भी न करें।
चीज़ और दूध के अन्य उत्पादनों का सेवन बिल्कुल भी न करें, क्योंकि इनका दाँतों से चिपकने का खतरा होता है, और जीवाणुओं के बढ़ने में सहायता करते हैं।
6. धूम्रपान और तम्बाकू के सेवन से भी बचें क्योंकि यह पायरिया की बीमारी को बढाते हैं।
7. पायरिया रोग से पीड़ित रोगी को कभी-भी चीनी, मिठाई या डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों का उपयोग नहीं करना चाहिए।

कलयुग में संजीवनी है कलौंजी (मंगरैला)




कलौंजी एक फायदे अनेक :
कलौंजी का पौधा सौंफ के पौधे से थोड़ा छोटा होता है। इसके फूल हल्के नीले व पीले रंग के होते हैं और इसके आकार तारे के समान होते हैं। लगभग घरों में होते हुए भी आप इसके गुणों से अब तक अनजान है ..! पूरी तरह संतृप्त किए गए बीज में जिंदगी की अत्यधिक ताकत होती है। ब्लैक सीड यानी कलौंजी के सेवन से आपका भविष्य रोग मुक्त बनता है। कलौंजी को रोमन कोरिएंडर, ब्लैक सीसेम, ब्लैक क्यूमिन, ब्लैक कैरावे तथा अनियन सीड के नाम से भी जाना जाता है। इसका इस्तेमाल औषधि, मसाले तथा सौंदर्य प्रसाधनों के तौर पर किया जाता है।

कैसे करें इसका सेवन :

* कलौंजी के बीजों का सीधा सेवन किया जा सकता है।
* एक छोटा चम्मच कलौंजी को शहद में मिश्रित करके इसका सेवन करें।
* पानी में कलौंजी उबालकर छान लें और इसे पीएं।
* दूध में कलौंजी उबालें। ठंडा होने दें फिर इस मिश्रण को पीएं।
* कलौंजी को ग्राइंड करें तथा पानी तथा दूध के साथ इसका सेवन करें।
* कलौंजी को ब्रैड, पनीर तथा पेस्ट्रियों पर छिड़क कर इसका सेवन करें।

अध्यन क्या कहते हैं :

टाइप-2 डायबिटीज : प्रतिदिन 2 ग्राम कलौंजी के सेवन के परिणाम स्वरूप तेज हो रहा ग्लूकोज कम होता है। इंसुलिन रैजिस्टैंस घटती है,बीटा सैल की कार्यप्रणाली में वृद्धि होती है तथा ग्लाइकोसिलेटिड हीमोग्लोबिन में कमी आती है।
मिर्गी : 2007 में हुए एक अध्ययन के अनुसार मिर्गी से पीड़ित बच्चों में कलौंजी के सत्व का सेवन दौरे को कम करता है।

उच्च रक्तचाप : 100 या 200 मिलीग्राम कलौंजी के सत्व के दिन में दो बार सेवन से हाइपरटैंशन के मरीजों में ब्लड प्रैशर कम होता है।

दमा : कलौंजी को पानी में उबालकर इसका सत्व पीने से अस्थमा में काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है।

उपचार स्वास्थ्य और प्रयोग:

इसके फूल सर्दीकी शुरुआती अवस्था में और फल सर्दियों में लगते हैं। फूल के गिरने के बाद इसमें आधे इंच लंबे काले फल लगते हैं। फल के अन्दर काले या गहरे भूरे रंग के बीज होते हैं जो तीखा और सुगंधित होता है। इस बीज को ही कलौंजी कहते हैं।

बीज 2 से 3 मिलीमीटर लंबे और 2 मिलीमीटर चौड़े होते हैं। बीज ऊपर से खुरदरा और अन्दर से चिकना होता है। कलौंजी के पत्ते एक साथ जुड़े रहते हैं। कलौंजी का प्रयोग मसाले और अनेक रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। कलौंजी का प्रयोग यूनानी दवाओं को बनाने में ज्यादा किया जाता है।

ये किसी हकीम ने सच ही कहा था .."मौत को छोड़ कर हर मर्ज़ की दवा है.....! "


* कलौंजी के बीजों का तेल भी बनाया जाता है जो रोगों के लिए बहुत प्रभावशाली होता है। इसका तेल न मिलने पर कलौंजी से काम चलाया जा सकता है।
* कलौंजी वनस्पति पौधे के बीज है और औषधियों के रूप में बीजों का ही प्रयोग किया जाता है। अत: कलौंजी के बीजों को बहुत बारीक पीसकर सिरका, शहदया पानी में मिलाकर उपयोग किया जाता है।
* कलौंजी के तेल में एक अलग प्रकार की चर्बी के टुकड़ा होता है। लिर्नोलेटिक टुकड़ा 60 प्रतिशत और पाश्मेहिक टुकड़ा लगभग 11 प्रतिशत इसमें प्राप्त हैं। इसलिए इसमें स्वतंत्र अम्ल 40 अथवा उससे भी ज्यादा हो सकते है। यह कार्बनिक तेल को आसानी से पानी के रूप में बदल देता है। अधिकतर कलौंजी के बीजों को ही औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। इसके बीजों में एक सेपोनिन नामक पदार्थ होता है। इसके बीजों में निजेलीन नामक कडुवा पदार्थ भी होता है।
* कलौंजी का तेल कफ को नष्ट करने वाला और रक्तवाहिनी नाड़ियों को साफ करने वाला होता है। इसके अलावा यह खून में मौजूद दूषित व अनावश्यक द्रव्य को भी दूर होता है। कलौंजी का तेल सुबह खाली पेट और रात को सोते समय लेने से बहुत से रोग समाप्त होते हैं। गर्भावस्था के समयस्त्री को कलौंजी के तेल का उपयोग नहीं कराना चाहिए इससे गर्भपात होने की सम्भावना रहती है।
* कलौंजी मूत्र लाने वाला, वीर्यपात को ठीक करने वाला और मासिक-धर्म के कष्टों को दूर करने वाला होता है।

विभिन्न भाषाओं में इसके नाम :-

हिन्दी में कलौंजी या मंगरैला कहते है
अंग्रेजी में स्माल फनेल
संस्कृत में इसे कलवंचिका, कालाजाजी
बंगाली में मुगरेला
गुजराती में कलौंजी
मराठी में कलौंजी
लैटिन में नाइगेला सेटाइवा आदि नाम है ...

आज इसका तेल केसे बनाया जाता है इसके बारे में भी आपको अवगत कराते है ...

कलौंजी का तेल बनाने की विधि :-
250 ग्राम कलौंजी पीसकर ढाई लीटर पानी में उबालें। उबालते-उबलते जब यह केवल एक लीटर पानी रह जाए तो इसे ठंडा होने दें। कलौंजी को पानी में गर्म करने पर इसका तेल निकलकर पानी के ऊपर तैरने लगता है। इस तेल पर हाथ फेरकर तब तक कटोरी में पोछें जब तक पानी के ऊपर तैरता हुआ तेल खत्म न हो जाए। फिर इस तेल को छानकर शीशी में भर लें और इसका प्रयोग औषधि के रूप में करें।

कलौंजी का रसायनिक विश्लेषण:-


इसके बीजों में एक लाल व भूरे रंग का स्थिर तेल 31 प्रतिशत होता है। इसमें पीला भूरा उड़नशील तेल 0.5 से 1.6 प्रतिशत होता है। उड़नशील तेल में कार्बन 45 से 60 प्रतिशत की मात्रा में होता है। इसमें डीलाइमोनिन और साइमिन तत्त्व होते हैं। इनके अलावा श्वासनलिका प्रसारक तत्त्व, नाइगेलन, शर्करा, विशाक्त ग्लूकोसाइड, पिच्छिल सेन्द्रिय अम्ल आदि भी होते हैं।
अधिक मात्रा में कलौंजी सेवन करने से दर्द, भ्रम, उत्तेजना आदि पैदा हो सकता है। त्वचा, किडनी, आंत, आमाशय और गर्भाशय पर कलौंजी का उत्तेजक प्रभाव पड़ता है। कलौंजी का सेवन करते समय नींबूको न खाएं।

मात्रा :- यह 1 से 3 ग्राम की मात्रा में उपयोग किया जाता है।

  • ये किन -किन रोगों में सहायक है :-
* जली हुई कलौंजी को हेयर ऑइल में मिलाकर नियमित रूप से सिर पर मालिश करने से गंजापन दूर होकर बाल उग आते हैं।
* कलौंजी के चूर्ण को नारियल के तेल में मिलाकर त्वचा पर मालिश करने से त्वचा के विकार नष्ट होते हैं।
* कलौंजी का तेल एक चौथाई चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ कुछ महीने तक प्रतिदिन पीने और रोगग्रस्त    अंगों पर कलौंजी के तेल से मालिश करने से लकवा रोग ठीक होता है।
* कलौंजी का तेल कान में डालने से कान की सूजन दूर होती है। इससे बहरापन में भी लाभ होता है।
* कलौंजी के बीजों को सेंककर और कपड़े में लपेटकर सूंघने से और कलौंजी का तेल और जैतून का तेल बराबर की मात्रा में नाक में टपकाने से सर्दी-जुकाम समाप्त होता है।
* 10 ग्राम कलौंजी को पीसकर 3 चम्मच शहद के साथ रात सोते समय कुछ दिन तक नियमित रूप से सेवन करने से पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।
* कलौंजी का काढ़ा बनाकर सेवन करने से प्रसव की पीड़ा दूर होती है।
* रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) में एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीने से रक्तचाप सामान्य बना रहता है। तथा 28 मिलीलीटर जैतुन का तेल और एक चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर पूर शरीर पर मालिश आधे घंटे तक धूप में रहने से रक्तचाप में लाभ मिलता है। यह क्रिया हर तीसरे दिन एक महीने तक करना चाहिए।
* आधे कप गर्म पानी में एक चम्मच शहद व आधे चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय लें। इससे पोलियों का रोग ठीक होता है।
* सिरके में कलौंजी को पीसकर रात को सोते समय पूरे चेहरे पर लगाएं और सुबह पानी से चेहरे को साफ करने से मुंहासे कुछ दिनों में ही ठीक हो जाते हैं।
* आधा कप पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल व चौथाई चम्मच जैतून का तेल मिलाकर इतना उबालें कि पानी खत्म हो जाएं और केवल तेल ही रह जाएं। इसके बाद इसे छानकर 2 बूंद नाक में डालें। इससे सर्दी-जुकाम ठीक होता है। यह पुराने जुकाम भी लाभकारी होता है।
* एक चम्मच सिरका, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय पीने से जोड़ों का दर्द ठीक होता है।
* स्फूर्ति (रीवायटल) के लिए नांरगी के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सेवन करने से आलस्य और थकान दूर होती है।
* कलौंजी को रीठा के पत्तों के साथ काढ़ा बनाकर पीने से गठिया रोग समाप्त होता है।
* आंखों की लाली, मोतियाबिन्द, आंखों से पानी का आना, आंखों की रोशनी कम होना आदि। इस तरह के आंखों के रोगों में एक कप गाजर का रस, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में 2बार सेवन करें। इससे आंखों के सभी रोग ठीक होते हैं। आंखों के चारों और तथा पलकों पर कलौंजी का तेल रात को सोते समय लगाएं। इससे आंखों के रोग समाप्त होते हैं। रोगी को अचार, बैंगन, अंडा व मछली नहीं खाना चाहिए।
* एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल डालकर रात को सोते समय पीने से स्नायुविक व मानसिक तनाव दूर होता है।
* कलौंजी के तेल को गांठो पर लगाने और एक चम्मच कलौंजी का तेल गर्म दूध में डालकर पीने से गांठ नष्ट होती है।
* पिसी हुई कलौंजी आधा चम्मच और एक चम्मच शहद मिलाकर चाटने से मलेरिया का बुखार ठीक होता है।
* यदि रात को नींद में वीर्य अपने आप निकल जाता हो तो एक कप सेब के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें। इससे स्वप्नदोष दूर होता है।
* प्रतिदिन कलौंजी के तेल की चार बूंद एक चम्मच नारियल तेल में मिलाकर सोते समय सिर में लगाने स्वप्न दोष का रोग ठीक होता है। उपचार करते समय नींबू का सेवन न करें।
* चीनी 5 ग्राम, सोनामुखी 4 ग्राम, 1 गिलास हल्का गर्म दूध और आधा चम्मच कलौंजी का तेल। इन सभी को एक साथ मिलाकर रात को सोते समय पीने से कब्ज नष्ट होती है।
* एक कप पानी में 50 ग्राम हरा पुदीना उबाल लें और इस पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय सेवन करें। इससे 21 दिनों में खून की कमी दूर होती है। रोगी को खाने में खट्टी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए।

* किसी भी कारण से पेट दर्द हो एक गिलास नींबू पानी में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीएं। उपचार करते समय रोगी को बेसन की चीजे नहीं खानी चाहिए। या चुटकी भर नमक और आधे चम्मच कलौंजी के तेल को आधा गिलास हल्का गर्म पानी मिलाकर पीने से पेट का दर्द ठीक होता है। या फिर 1 गिलास मौसमी के रस में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीने से पेट का दर्द समाप्त होता है।

* आधा चम्मच कलौंजी का तेल और आधा चम्मच अदरक का रस मिलाकर सुबह-शाम पीने से उल्टी बंद होती है।
3 चम्मच करेले का रस और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय पीने से हार्निया रोग ठीक होता है।
* कलौंजी के तेल को ललाट से कानों तक अच्छी तरह मलनें और आधा चम्मच कलौंजी के तेल को 1 चम्मच शहद में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से सिर दर्द ठीक होता है।
* कलौंजी खाने के साथ सिर पर कलौंजी का तेल और जैतून का तेल मिलाकर मालिश करें। इससे #सिर दर्द में आराम मिलता है और सिर से सम्बंधित अन्य रोगों भी दूर होते हैं।
* एक कप गर्म पानी में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से मिर्गी के दौरें ठीक होते हैं। मिर्गी के रोगी को ठंडी चीजे जैसे- अमरूद, केला, सीताफल आदि नहीं देना चाहिए।
* एक कप दूध में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर प्रतिदिन 2 बार सुबह खाली पेट और रात को सोते समय 1 सप्ताह तक लेने से पीलिया रोग समाप्त होता है। पीलिया से पीड़ित रोगी को खाने में मसालेदार व खट्टी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए।
* एक गिलास अंगूर के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 3 बार पीने से कैंसर का रोग ठीक होता है। इससे आंतों का कैंसर, ब्लड कैंसर व गले का कैंसर आदि में भी लाभ मिलता है। इस रोग में रोगी को औषधि देने के साथ ही एक किलो जौ के आटे में 2 किलो गेहूं का आटा मिलाकर इसकी रोटी, दलिया बनाकर रोगी को देना चाहिए। इस रोग में आलू, अरबी और बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। कैंसर के रोगी को कलौंजी डालकर हलवा बनाकर खाना चाहिए।
* कलौंजी का तेल और लौंग का तेल 1-1 बूंद मिलाकर #दांत व मसूढ़ों पर लगाने से दर्द ठीक होता है। आग में सेंधानमक जलाकर बारीक पीस लें और इसमें 2-4 बूंदे कलौंजी का तेल डालकर दांत साफ करें। इससे साफ व स्वस्थ रहते हैं।
* दांतों में कीड़े लगना व खोखलापन: रात को सोते समय कलौंजी के तेल में रुई को भिगोकर खोखले दांतों में रखने से कीड़े नष्ट होते हैं।

* रात में सोने से पहले आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से नींद अच्छी आती है।
कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से मासिकधर्म शुरू होता है। इससे गर्भपात होने की संभावना नहीं रहती है।
* कलौंजी और गाजर के बीज समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और यह 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करें। इससे गर्भपात हो जाता है।
* 50 ग्राम कलौंजी 1 लीटर पानी में उबाल लें और इस पानी से बालों को धोएं। इससे बाल लम्बे व घने होते हैं।
* बेरी-बेरी रोग में कलौंजी को पीसकर हाथ-पैरों की सूजन पर लगाने से सूजन मिटती है।
* जिन माताओं बहनों को मासिकधर्म कष्ट से आता है उनके लिए कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मासिकस्राव का कष्ट दूर होता है और बंद मासिकस्राव शुरू हो जाता है।
* कलौंजी का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर चाटने से #ऋतुस्राव की पीड़ा नष्ट होती है।
मासिकधर्म की अनियमितता में लगभग आधा से डेढ़ ग्राम की मात्रा में कलौंजी के चूर्ण का सेवन करने से मासिकधर्म नियमित समय पर आने लगता है।
* 50 ग्राम कलौंजी को सिरके में रात को भिगो दें और सूबह पीसकर शहद में मिलाकर 4-5 ग्राम की मात्रा सेवन करें। इससे भूख का अधिक लगना कम होता है।
* कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन 2-3 बार सेवन करने से मासिकस्राव शुरू होता है। गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं कराना चाहिए क्योंकि इससे गर्भपात हो सकता है।
* यदि मासिकस्राव बंद हो गया हो और पेट में दर्द रहता हो तो एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीना चाहिए। इससे बंद #मासिकस्राव शुरू हो जाता है।
* स्त्रियों के चेहरे व हाथ-पैरों की सूजन: कलौंजी पीसकर लेप करने से हाथ पैरों की सूजन दूर होती है।
* कलौंजी का तेल और जैतून का तेल मिलाकर पीने से नपुंसकता दूर होती है।
* कलौंजी आधे से एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से स्तनों का आकार बढ़ता है और स्तन सुडौल बनता है।
* कलौंजी को आधे से 1 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से #स्तनों में दुध बढ़ता है।
* 50 ग्राम कलौंजी के बीजों को पीस लें और इसमें 10 ग्राम बिल्व के पत्तों का रस व 10 ग्राम हल्दी मिलाकर लेप बना लें। यह लेप खाज-खुजली में प्रतिदिन लगाने से रोग ठीक होता है।
* नाड़ी का छूटना के लिए आधे से 1 ग्राम कालौंजी को पीसकर रोगी को देने से शरीर का ठंडापन दूर होता है और नाड़ी की गति भी तेज होती है। इस रोग में आधे से 1ग्राम कालौंजी हर 6घंटे पर लें और ठीक होने पर इसका प्रयोग बंद कर दें। ध्यान रखें कि इस दवा का प्रयोग गर्भावस्था में नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे गर्भ नष्ट हो सकता है।
* एक ग्राम पिसी कलौंजी शहद में मिलाकर चाटने से हिचकी आनी बंद हो जाती है। तथा कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में मठ्ठे के साथ प्रतिदिन 3-4 बार सेवन से हिचकी दूर होती है। या फिर कलौंजी का चूर्ण 3 ग्राम मक्खन के साथ खाने से हिचकी दूर होती है। और यदि आप काले उड़द चिलम में रखकर तम्बाकू के साथ पीने से हिचकी में लाभ होता है।
* 3 ग्राम कलौंजी पीसकर दही के पानी में मिलाकर खाने से हिचकी ठीक होती है।
* कलौंजी को पीसकर लेप करने से नाड़ी की जलन व सूजन दूर होती है।
* लगभग 2 ग्राम की मात्रा में कलौंजी को पीसकर 2 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
* कलौंजी और सूखे चने को एक साथ अच्छी तरह मसलकर किसी कपड़े में बांधकर सूंघने से छींके आनी बंद हो जाती है।
* कलौंजी के बीजों को गर्म करके पीस लें और कपड़े में बांधकर सूंघें। इससे सिर का दर्द दूर होता है। कलौंजी और काला जीरा बराबर मात्रा में लेकर पानी में पीस लें और माथे पर लेप करें। इससे सर्दी के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर होता है।
* कलौंजी को लगभग एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम प्रसूता स्त्री को देने से स्तनों में दूध बनता है।
* कलौंजी, जीरा और अजवाइन को बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद लेने से पेट का गैस नष्ट होता है।
* 250 मिलीलीटर दूध में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से पेशाब की जलन दूर होती है।
* एक चुटकी नमक, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच घी मिलाकर छाती और गले पर मालिश करें और साथ ही आधा चम्मच कलौंजी का तेल 2 चम्मच शहद के साथ मिलाकर सेवन करें। इससे दमा रोग में आराम मिलता है।
* 250 ग्राम कलौंजी पीसकर 125 ग्राम शहद में मिला लें और फिर इसमें आधा कप पानी और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर प्रतिदिन 2 बार खाली पेट सेवन करें। इस तरह 21 दिन तक पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।
* यदि चोट या मोच आने के कारण शरीर के किसी भी स्थान पर सूजन आ गई हो तो उसे दूर करने के लिए कलौंजी को पानी में पीसकर लगाएं। इससे सूजन दूर होती है और दर्द ठीक होता है। कलौंजी को पीसकर हाथ पैरों पर लेप करने से हाथ-पैरों की सूजन दूर होती है।

* दही में कलौंजी को पीसकर बने लेप को पीड़ित अंग पर लगाने से स्नायु की पीड़ा समाप्त होती है।
* 20 ग्राम कलौंजी को अच्छी तरह से पकाकर किसी कपड़े में बांधकर नाक से सूंघने से बंद नाक खुल जाती है और जुकाम ठीक होता है।
* जैतून के तेल में कलौंजी का बारीक चूर्ण मिलाकर कपड़े में छानकर बूंद-बूंद करके नाक में डालने से बार-बार जुकाम में छींक आनी बंद हो जाती हैं और जुकाम ठीक होता है। कलौंजी को सूंघने से जुकाम में आराम मिलता है।
* कलौंजी की भस्म को मस्सों पर नियमित रूप से लगाने से बवासीर का रोग समाप्त होता है।
* वात रोग में कलौंजी के तेल से रोगग्रस्त अंगों पर मालिश करने से वात की बीमारी दूर होती है।
* यदि बार-बार छींके आती हो तो कलौंजी के बीजों को पीसकर सूंघें।

Diabetes - शुगर को रखिये कंट्रोल में और अपनाइये घरेलू नुस्खे





किसी की किडनी खराब हो रही है ,किसी का लीवर खराब हो रहा है , किसी को paralisis हो रहा है किसी को brain stroke हो रहा है ,किसी को heart attack आ रहा है ! कुल मिलाकर complications
बहुत है diabetes के !!

मधुमेह या चीनी की बीमारी एक खतरनाक रोग है। रक्त ग्लूकोज (blood sugar level ) स्तर बढा़ हूँआ मिलता है, यह रोग मरीजों के (रक्त मे गंदा कोलेस्ट्रॉल,) के अवयव के बढने के कारण होता है। इन मरीजों में आँखों, गुर्दों, स्नायु, मस्तिष्क, हृदय के क्षतिग्रस्त होने से इनके गंभीर, जटिल, घातक रोग का खतरा बढ़ जाता है।

भोजन पेट में जाकर एक प्रकार के ईंधन में बदलता है जिसे ग्लूकोज कहते हैं। यह एक प्रकार की शर्करा होती है। ग्लूकोज हमारे रक्त धारा में मिलता है और शरीर की लाखों कोशिकाओं में पहुंचता है। pancreas (अग्न्याशय) ग्लूकोज उत्पन्न करता है इनसुलिन भी रक्तधारा में मिलता है और कोशिकाओं तक जाता है।

मधुमेह बीमारी का असली कारण जब तक आप लोग नही समझेगे आपकी मधुमेह कभी भी ठीक नही हो सकती है जब आपके रक्त में वसा (गंदे कोलेस्ट्रोल) की मात्रा बढ जाती है तब रक्त में मोजूद कोलेस्ट्रोल कोशिकाओ के चारों तरफ चिपक जाता है !और खून में मोजूद जो इन्सुलिन है कोशिकाओं तक नही पहुँच पाता है (इंसुलिन की मात्रा तो पर्याप्त होती है किन्तु इससे द्वारो को खोला नहीं जा सकता है, अर्थात पूरे ग्लूकोज को ग्रहण कर सकने के लिए रिसेप्टरों की संख्या कम हो सकती है)

वो इन्सुलिन शरीर के किसी भी काम में नही आता है जिस कारण जब हम शुगर level चैक करते हैं शरीर में हमेशा शुगर का स्तर हमेशा ही बढा हुआ होता है क्यूंकि वो कोशिकाओ तक नहीं पहुंची जबकि जब हम बाहर से इन्सुलिन लेते है तब वो इन्सुलिन नया-नया होता है तो वह कोशिकाओं के अन्दर पहुँच जाता है !
अब आप समझ गये होगे कि मधुमेह का रिश्ता कोलेस्ट्रोल से है न कि शुगर से !

जब सम्भोग के समय पति पत्नी आपस में नही बना कर रख पाते है या सम्भोग के समय बहुत तकलीफ होती है समझ जाइये मधुमेह हो चूका है या होने वाला है क्योकि जिस आदमी को मधुमेह होने वाला हो उसे सम्भोग के समय बहुत तकलीफ होती है क्योकि मधुमेह से पहले जो बिमारी आती वो है सेक्स में प्रोब्लम होना, मधुमेह रोग में शुरू में तो भूख बहुत लगती है। लेकिन धीरे-धीरे भूख कम हो जाती है। शरीर सुखने लगता है, कब्ज की शिकायत रहने लगती है। बार बार बहुत अधिक प्यास लगती है अधिक पेशाब आना और पेशाब में चीनी आना शुरू हो जाती है और रोगी का वजन कम होता जाता है। शरीर में कहीं भी जख्मध्घाव होने पर वह जल्दी नहीं भरता।
तो ऐसी स्थिति मे हम क्या करें ??

आप insulin पर ज्यादा निर्भर ना रहें ! क्यूंकि ये insulin डाईब्टीज से भी ज्यादा खराब है side effect इसके बहुत हैं !! तो आप ये आयुर्वेद की दवा का फार्मूला लिखिये !
और जरूर इस्तेमाल करें !!

100 ग्राम (मेथी का दाना )ले ले इसे धूप मे सूखा कर पत्थर पर पीस कर इसका पाउडर बना लें !
100 ग्राम (तेज पत्ता ) लेलें इसे भी धूप मे सूखा कर पत्थर पर पीस कर इसका पाउडर बना लें !
150 ग्राम (जामुन की गुठली )लेलें इसे भी धूप मे सूखा कर पत्थर पर पीस कर इसका पाउडर बना लें !
250 ग्राम (बेलपत्र के पत्ते ) लेलें इसे भी धूप मे सूखा कर पत्थर पर पीस कर इसका पाउडर बना लें !
_________________
तो
मेथी का दना - 100 ग्राम
तेज पत्ता ------- 100 ग्राम
जामुन की गुठली -150 ग्राम
बेलपत्र के पत्ते - 250 ग्राम
तो इन सबका पाउडर बनाकर इन सबको एक दूसरे मे मिला लें ! बस दवा तैयार है !!
इसे सुबह -शाम (खाली पेट ) 1 से डेड चम्मच से खाना खाने से एक घण्टा पहले गरम पानी के साथ लें !!
2 से 3 महीने लगातार इसका सेवन करें !! (सुबह उठे पेट साफ करने के बाद ले लीजिये )
कई बार लोगो से सीधा पाउडर लिया नहीं जाता ! तो उसके लिए क्या करें ??
आधे से आधा गिलास पानी को गर्म करे उसमे पाउडर मिलाकर अच्छे से हिलाएँ !! वो सिरप की तरह बन जाएगा ! उसे आप आसानी से एक दम पी सकते है ! उसके बाद एक आधा गिलास अकेला गर्म पानी पी लीजिये !!

Pregnancy - गर्भावस्था में लें सही आहार


 हर महिला कि यह इच्छा होती है कि वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे। इस इच्छा को पूर्ण करने के लिए गर्भावस्था मे पौष्टिक आहार का सेवन पर्याप्त मात्रा मे करना बेहद जरुरी है। गर्भस्थ शिशु का विकास माता के आहार पर निर्भर होता है। गर्भवती महिला को ऐसा आहार करना चाहिए जो उसके गर्भस्थ शिशु के पोषण कि आवश्यक्ताओ को पुरा कर सके।

सामान्य महिला को प्रतिदिन 2100 calories का आहार करना चाहिए। Food and Nutrition Board के अनुसार सगर्भा महिला को आहार के माधयम से 300 calories अतिरिक्त मिलनी ही चाहिए। यानि सामान्य महिला कि अपेक्षा गर्भवती महिला को 2400 calories प्राप्त हो इतना आहार लेना चाहिए और विविध Vitamins, Minerals अधिक मात्रा में प्राप्त करना चाहिए। 

गर्भावस्था में महिला को आहार में कौन से चीजे लेना चहिए ओर कितनी मात्रा में लेना चाहिए इसकि अधिक जानकारी निचे दि गयीं है।

1) कैल्शियम (Calcium)
• गर्भवती महिला को आहार मे प्रतिदिन 1500 -1600 मिलीग्राम Calcium मिलना चाहिए।
• गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु की स्वस्थ और मजबूत हड्डियों के लिये इस तत्व कि आवश्यकता रहती है।
• Calcium युक्त आहार में दूध और दूध से बने व्यंजन, दलहन, मक्खन, चीज, मेथी, बीट, अंजीर, अंगूर, तरबूज, तिल, उड़द, बाजऱा, मांस आदि का समावेश होता है।

2)प्रोटीन (Proteins)
• गर्भवती महिला को आहार मे प्रतिदिन 60 से 70 ग्राम Proteins मिलना चाहिए।
• गर्भवती महिला के गर्भाशय, स्तनों तथा गर्भ के विकास ओर वृद्धि के लिये Proteins एक महत्वपूर्ण तत्व है।
• अंतिम 6 महीनो के दौरान करीब 1 किलोग्राम Proteins की आवश्यकता होती है।
• Protein युक्त आहार मे दूध और दुध से बने व्यंजन, मूंगफली, पनीर, चिज़, काजू, बदाम, दलहन, मांस, मछली, अंडे आदि का समावेश होता है।

3) विटामिन (Vitamins)
• सगर्भावस्था के दौरान Vitamins कि जरुरत बढ़ जाती है।
• आहार ऐसा होना चाहिए कि जो अधिकधिक मात्रा मे calories तथा उचित मात्रा में Proteins के साथ Vitamins कि जरुरत कि पूर्ति कर सके।
• हरी सब्जियां, दलहन, दूध आदि से Vitamin उपलब्ध हो जाते है।

4) आयोडीन (Iodine)
• गर्भवती महिलाओ के लिये प्रतिदिन 200-220 माइक्रोग्राम Iodine कि आवश्यकता होती है।
• Iodine आपके शिशु के दिमाग के विकास के लिये आवश्यक है। इस तत्व की कमी से बच्चे मे मानसिक रोग, वजन बढ़ना और महिलाओ मे गर्भपात जेसी अन्य खामिया उत्पन्न होती है। गर्भवती महिलाओ को अपने डॉक्टर कि सलाह अनुसार Thyroid Profile जॉंच कराना चाहिए।
• Iodine के प्राकृतिक स्त्रोत्र है अनाज, दालें, ढूध, अंड़े, मांस। Iodine युक्त नमक अपने आहार मे Iodine शामिल करने का सबसे आसान और सरल उपाय है।

5) फोलिक एसिड (Folic Acid)
• पहली तिमाही वाली महिलाओं को प्रतिदिन 4 mg Folic Acid लेंने की आवश्यकता होती है। दूसरी और तीसरी तिमाही मे 6 mg Folic Acid लेंने की आवश्यकता होती है।
• पर्याप्त मात्रा में Folic Acid लेने से जन्मदोष और गर्भपात होने का खतरा कम हो जाता है। इस तत्व के सेवन से उलटी पर रोक लग जाती है।
• आपको Folic Acid का सेवन तब से कर लेना चाहिए जब से आपने माँ बनने का मन बना लिया हो।
• Folic Acid युक्त आहार मे दाल, राजमा, पालक, मटर, मक्का, हरी सरसो, भिंड़ी, सोयाबीन, काबुली चना, स्ट्रॉबेरी, केला, अननस, संतरा, दलीया, साबुत अनाज का आटा, आटे कि ब्रेड आदि का समावेश होता है।

6) पानी (Water)
• गर्भवती महिला हो या कोई भी व्यक्ति, पानी हमारे शरीर के लिये बहुत महत्वपुर्ण है। गर्भवती महिलाओ को अपने शरीर कि बढ़ती हुईं आवश्यकताओं को पुरा करने के लिये प्रतिदिल कम से कम 3 लीटर (10 से 12 ग्लास) पानी जरुर पीना चाहिए। गर्मी के मौसम में 2 ग्लास अतिरिक्त पानी पीना चाहिए।
• हमेशा ध्यान रखे कि आप साफ़ और सुरक्षीत पानी पी रहे है। बाहर जाते समय अपना साफ़ पानी साथ रखे या अच्छा बोतलबंद पानी का उपयोग करे।
• पानी की हर बूंद आपकी गर्भावस्था को स्वस्थ और सुरक्षित बनाने मे सहायक है।

7) झींक (Zinc)
• गर्भवती महिलाओ के लिये प्रतिदिन 15 से 20 मिलीग्राम Zinc कि आवश्यकता होती है।
• इस तत्व कि कमी से भूख नहि लगतीं, शारीरिक विकास अवरुद्ध हो जात्ता है, त्वचा रोग होते है।
• पर्याप्त मात्रा में शरीर को Zinc कि पूर्ति करने के लिए हरी सब्जिया और Multi-Vitamin supplements ले सकते है।

गर्भवती महिलाओ को आहार संबंधी निम्नलिखित बातों का ख्याल रखना चाहिए :

1. गर्भवती महिला को हर 4 घंटे में कुछ खाने की कोशिश करनी चाहिए। हो सकता है आपको भूक न लगी हो, परन्तु हो सकता है कि आपका गर्भस्थ शिशु भूका हो।
2. वजन बढ़ने कि चिंता करने के बजाय अच्छी तरह से खाने कि ओर ध्यान देना चाहिए।
3. कच्चा दूध न पिए।
4. मदिरापान न करे।
5. Caffein

मुहासों से छुटकारा पाने का घरेलू उपचार







पिंपल्स एक बहुत ही कॉमन बीमारी है, जो अधिकतर टीनएजर्स में देखने को मिलती है। युवावस्था में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। इन बदलावों के कारण चेहरे की तैलीय ग्रंथियां एक्टिव हो जाती हैं। इसी कारण तैलीय ग्रंथियों पर बैक्टीरिया अटैक कर देते हैं और चेहरे पर पिंपल्स हो जाते हैं।

पिंपल्स के कारण-

1. सामान्यत: पिंपल्स टीनएज में होते हैं, क्योंकि इस अवस्था में शरीर में सेक्स हार्मोन्स की वृद्धि होती है।

2. बहुत अधिक मात्रा में जंक फूड के सेवन से पिंपल्स हो जाते हैं।

3. अनुवांशिकता और धूल से इन्फेक्शन भी इसके कारण हो सकते हैं।

4. कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट्स का बहुत ज्यादा उपयोग भी इसका एक कारण है।

5. डेड स्किन भी पिंपल्स का कारण बन सकती है।



उपचार-
हल्दी- हल्दी एंटीसेप्टिक का काम करती है। इसीलिए इसमें बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता पाई जाती है।

=> एक चम्मच हल्दी पाउडर में थोड़ा सा पानी मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना लें।

=> इस पेस्ट को पिंपल्स पर लगाएं। कुछ मिनट के लिए लगा रहने दें। फिर ठंडे पानी से चेहरा धो लें। ऐसा एक हफ्ते तक करें। पिंपल्स खत्म हो जाएंगे।

पुदीना- पुदीना शरीर को ठंडक पहुंचाता है। साथ ही, इसमें एंटीसेप्टिक गुण भी पाए जाते हैं।

=> पुदीने की कुछ पत्तियों को मिक्सर में पीस लें।
=> इसका पेस्ट बनाकर उसे चेहरे पर रात को सोने से पहले लगा लें या इसे छानकर जूस निकालकर भी चेहरे पर लगा सकते हैं। इसे रातभर चेहरे पर लगा रहने दें।
=> सुबह चेहरा धो लें। ऐसा हफ्ते में एक बार जरूर करें। धीरे-धीरे पिंपल्स खत्म हो जाएंगी।

नींबू- पिंपल्स में नींबू बहुत फायदेमंद होता है। नींबू में भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है।

=> दो मध्यम आकार के नींबू लेकर उनका जूस निकाल लें।
=> नींबू के रस को कॉटन में भिगोकर चेहरे पर लगा लें। सूख जाए तो ठंडे पानी से धो लें।
=> दिन में दो बार इसे तीन-चार दिनों तक लगाएं। पिंपल्स दूर हो जाएंगे।

लहसुन- लहसुन में एंटीफंगल तत्व पाए जाते हैं। इसीलिए यह पिंपल्स को बहुत जल्दी दूर कर देता है।

=> लहसुन की दो कलियां और एक लौंग पीस लें।
=> इस पेस्ट को सिर्फ पिंपल्स पर लगाएं। कुछ देर लगा रहने दें। फिर चेहरा धो लें। ऐसा करने से पिंपल्स खत्म हो जाएंगे।

टूथपेस्ट- टूथपेस्ट का उपयोग दांतों को सफेद बनाने के लिए तो सभी करते हैं, लेकिन इसका उपयोग पिंपल्स को ठीक करने के लिए भी किया जा सकता है।

=> रात को सोने से पहले पिंपल्स पर टूथपेस्ट लगाएं।
=> सुबह ठंडे पानी से चेहरा धो लें। पिंपल्स पर इसका असर साफ दिखाई देगा।
=> पिंपल्स पर सिर्फ सफेद टूथपेस्ट लगाना चाहिए।

भाप- भाप पिंपल्स का एक बढ़िया इलाज है। चेहरे पर भाप लेने से रोम छिद्र खुल जाते हैं। चेहरे की गंदगी दूर हो जाती है।

=> जब भी पिंपल्स की समस्या हो, चार-पांच दिनों तक दिन में दो बार चेहरे पर भाप लें।
=> पिंपल्स खत्म हो जाएंगे और चेहरा ग्लो करने लगेगा।

बर्फ- पिंपल्स को खत्म करने के लिए बर्फ का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

=> बर्फ के टुकड़े को कॉटन में लपेटकर चेहरे पर हल्के से मसाज करेंं।
=> तीन-चार दिन तक दिन में दो बार बर्फ से मसाज करने से पिंपल्स की ठीक हो जाएंगे।


दालचीनी- दालचीनी को पीसकर पाउडर बना लें। इस पाउडर को एक चम्मच या दो चम्मच मात्रा में लेकर चेहरे पर लगाएं।

=> ऐसा दिन में कम से कम दो बार करें। पिंपल्स दूर हो जाएंगी।

संतरे के छिलके- संतरे के छिलकों को चेहरे के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। संतरे के छिलकों को छांव में सुखाकर पाउडर बना लें।

=> इस पाउडर को एक से दो चम्मच पानी में मिलाकर चेहरे पर लगाएं।
=> आधे घंटे के बाद चेहरा धो लें। ऐसा दिन में दो से तीन बार करें।

शहद- शहद एक नेचुरल एंटीसेप्टिक है। पिंपल्स की समस्या में यह रामबाण है।

=> कॉटन बॉल को शहद में डुबोकर चेहरे पर लगाएं।
=> सूखने पर चेहरा धो लें। पिंपल्स खत्म हो जाएंगे।

पपीता- पपीता में बहुत अधिक मात्रा में एंटीआक्सीडेंट पाए जाते हैं। यह पिंपल्स को बहुत जल्दी खत्म करने की क्षमता रखता है।

=> एक पपीता को छिलकर मिक्सर में पीस लें और चेहरे पर लगाएं। पपीते का जूस भी चेहरे पर लगाया जा सकता है।
=> पंद्रह से बीस मिनट चेहरे पर लगा रहने दें। फिर ठंडे पानी से चेहरा धो लें।

खीरे का जूस- खीरा कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर होता है। गर्मियों में यह स्किन के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है।

=> खीरे के छिलके उतारकर उसे टुकड़े करके मिक्सर में पीस लें।
=> इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। दिन में कम से कम दो बार ये पेस्ट लगाने से पिंपल्स दूर हो जाते हैं।
=> खीरे के पेस्ट में थोड़ा नींबू का रस व शहद मिला कर लगाएंगे तो स्किन ग्लो करने लगेगी।

एप्पल साइडर विनेगर- एप्पल साइडर विनेगर को स्किन के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है।

=> एप्पल साइडर विनेगर में कॉटन बॉल डुबोकर उसे चेहरे पर लगाएं।
=> सूखने पर ठंडे पानी से चेहरा धो लें। ऐसा दिन में दो बार करें। पिंपल्स गायब हो जाएंगे।

टमाटर – टमाटर एंटीआक्सीडेंट से भरपूर होता है। इसीलिए इसे स्किन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।

=> टमाटर को पीसकर उसका जूस बना लें। इस जूस को छानकर चेहरे पर लगाएं। सूखने पर चेहरा धो लें।
=> दिन में कम से कम दो बार ऐसा करें। पिंपल्स पर असर दिखाई देने लगेगा।

नीम- नीम की पत्तियों को आयुर्वेद में त्वचा की बीमारियों की अचूक दवा माना गया है।

=> नीम की पत्तियों को धोकर उसका पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। आधे घंटे बाद चेहरा धो लें।

Thursday 31 March 2016

ब्लड प्रेशर को कैसे रखें नियंत्रित





उच्च रक्तचाप या Hypertension, जिसे हम बोलचाल की भाषा में High BP भी कहते हैं यह एक ज्वालामुखी की तरह हैं। उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति को काफी समय तक कोई लक्षण नजर नहीं आता हैं। ज्वालामुखी की तरह ही यह ऊपर से शांत रहता है पर जब यह फूटता है तब रोगी को लकवा, ह्रदय रोग, गुर्दे / किडनी की बीमारी इत्यादि गंभीर परिणाम हो जाते हैं।

उच्च रक्तचाप को काबू में करने के लिए हमें अपने डॉक्टर की सलाह अनुसार नियमित दवा लेनी चाहिए। दवा लेने के साथ-साथ हमें कुछ विशेष बातों का ख्याल भी रखना चाहिए जिससे की दवा की मात्रा कम रहे और शरीर के अन्य उपयोगी अंग जैसे की गुर्दे / Kidney, यकृत / Liver, ह्रदय / Heart और रक्त वाहिनियों पर होनेवाले side effects से बचा जा सके।

उच्च रक्तचाप / Hypertension या हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखने के लिए हमें निचे दिए हुए सुझाव और बातों का ख्याल रखना चाहिए :


1. नमक / Salt : खाने में उपयोग किये जानेवाले नमक में Sodium का प्रमाण ज्यादा होता हैं। Sodium की अधिकता से शरीर में water retention अधिक होता है जिससे शरीर पर सूजन आती है और रक्तचाप बढ़ जाता हैं। रक्तचाप से पीड़ित व्यक्तिओं ने दिनभर में 2400 mg से अधिक नमक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। खाने के एक चमच्च में लगभग 2500 mg नमक आता हैं।

2. ज्यादा नमक वाले खाद्य पदार्थों का उपयोग न करे जैसे की - अचार, पापड़, चिप्स, सॉस, कोल्ड ड्रिंक्स इत्यादि।

3. खाने की मेज पर अपने पास नमक की डिबिया न रखे।

4. आपके आहार में नमक का इस्तेमाल कम करे। नमक के कमी के कारण खाने में स्वाद की कमी महसूस होने पर निम्बू का रस छिड़क दे।

5. आप चाहे तो अपने डॉक्टर की सलाह लेकर आहार में Low Sodium (LONA) Salt का इस्तेमाल कर सकते हैं।

★ संतुलित आहार / Balanced diet : अपने आहार में साबुत अनाज, फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, कम fat युक्त दुग्धजन्य पदार्थ का समावेश कर आप अपने रक्तचाप के पारे / mercury को 10 से 15 mmHg तक निचे ला सकते हैं। आप जरा सी सावधानी बरत कर खाने का मजा भी ले सकते हैं और रक्तचाप को नियंत्रित भी कर सकते हैं।

1. आप क्या आहार लेते है इसकी लिस्ट बनाये और अपने डॉक्टर / डायटीशियन को बताये। आहार में उचित बदलाव कर आप स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं।

2. Hypertension के रोगी को ज्यादा मात्रा में भोजन नहीं करना चाहिए साथ ही गरिष्ठ भोजन से भी परहेज करना चाहिए।

3. पालक, गोभी, बथुआ जैसी सब्जियों का सेवन करने से Blood pressure सामान्य रहने में मदद होती हैं।

4. बादाम, बिना मलाई का दूध, छाछ, सोयाबीन का तेल, गुड और शहद का सेवन कर सकते हैं।

5. आहार में Potassium युक्त सब्जिया और फल का इस्तेमाल ज्यादा करे। Potassium के कारण शरीर में Sodium का असर कम हो जाता हैं।

6. बाजार से कोई भी सामान खरीदते समय पहले Food label पढ़ने की आदत डाले।
जो आहार आपके स्वास्थ्य के लिए सही है वही ख़रीदे और इस्तेमाल करे। याद रहे - जो व्यक्ति आपने आहार को नियंत्रण में नहीं रख सकता वह कभी अपने स्वास्थ्य को भी नियंत्रण में नहीं रख सकता हैं।

गर्मियों में घमौरियों से पाएं राहत




गरमी के दिनों में पसीना मरने या त्वचा में सूख जाने के कारण शरीर पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं| इन्हीं को घमौरियां या अंधौरी कहते हैं| यह धूप में अधिक देर तक काम करने के कारण निकलती हैं|
नुस्खे
घमौरियों पर करेले का रस मलिए|
मेहंदी पीसकर घमौरियों पर लेप लगाने से वे चली जाती हैं|
नारंगी या संतरे के छिलकों को सुखाकर उसका चूर्ण घी में मिलाकर घमौरियों पर लगाएं|
बर्फ मलने से घमौरियां नष्ट हो जाती हैं|
दूध में मुलतानी मिट्टी मिलाकर घमौरियों पर लेप करें|
जीरे को पीसकर देशी घी में मिलाकर घमौरियों पर लगाएं|
सरसों के तेल में नमक मिलाकर घमौरियों पर मालिश करें|
बकरी के दूध में बर्फ मिलाकर शरीर पर मलें|
सरसों के तेल में जरा-सा नीम का तेल मिलाकर शरीर पर लगाएं|
हल्दी को पीसकर शहद में मिलाकर घमौरियों पर लगाएं|

पैर के दर्द का घरेलू उपचार






पैरों और टांगों में नसों का ऐंठना फूलना व सूजना - टांगों में ऐंठन - नस पर नस का चढ़ जाना - मांस-पेशियाँ में दर्द होना जैसे कि पिंडली में (टांग के पीछे) - माँस-पेशियों की ऐंठन :
कई लोगों को रात में सोते समय टांगों में एंठन की समस्या होती है। नस पर नस चढ़ जाती है। कई लोगों को टांगों और पिंडलियों में मीठा - 2 दर्द सा भी महसूस होता है। पैरों में दर्द के साथ ही जलन, सुन्न, झनझनाहट या सुई चुभने जैसा एहसास होता है।
ऐसा कई कारणों से होता है। कुछ दिन पहले मैने 'पैरों के तलवों में दर्द - कारण व् निवारण' विषय पर लिखा था।
आज की समस्या - 'ऐंठन' के कारण भी उसी से बहुत सीमा तक मिलते जुलते हैं. मेरे विचार में इसके प्रमुख कारण हैं :
कारण :
- अनियंत्रित मधुमेह (रक्त में शक्कर का स्तर)
- शरीर में जल, रक्तमें सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम स्तर कम होने
- पेशाब ज्यादा होने वाली डाययूरेटिक दवाओं जैसे लेसिक्स सेवन करने के कारण शरीर में जल, खनिज लवण की मात्रा कम होने
- मधुमेह, अधिक शराब पीने से, किसी बिमारी के कारण कमजोरी, कम भोजन या पौष्टिक भोजन ना लेने से, 'Poly-neuropathy' या नसों की कमजोरी।
- कुछ हृदय रोगी के लिये दवायें जो कि 'Beta-blockers' कहलाती हैं, वो भी कई बार इसका कारण होती हैं।
- कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवा सेवन करने से.
- अत्यधिक कठोर व्यायाम करने, खेलने, कठोर श्रम करने से.
- एक ही स्थिति में लंबे समय तक पैर मोड़े रखने के कारण और पेशियों की थकान के कारण हो सकता है।
- पैर की धमनियोंकी अंदरूनी सतह में कोलेस्ट्रॉल जमा होने से, इनके संकरे होने (एथ्रीयो स्कोरोसिस) के कारण रक्त प्रवाह कम होने पर,
- पैरों की स्नायुओं के मधुमेह ग्रस्त होने
- अत्यधिक सिगरेट, तंबाकू, शराब का सेवन करने, पोष्क तत्वों की कमी, संक्रमण से।
घरेलू उपचार :
- आराम करें। पैरों को ऊंचाई पर रखें।
- प्रभाव वाले स्थान पर बर्फ की ठंडी सिकाई करे। सिकाई 15 मिनट, दिन में 3-4 बार करे।
- अगर गर्म-ठंडी सिकाई 3 से 5 मिनट की (दोनों तरह की बदल-2 कर) करें तो इस समस्या और दर्द - दोनों से राहत मिलेगी।
- आहिस्ते से ऎंठन वाली पेशियों, तंतुओं पर खिंचाव दें, आहिस्ता से मालिश करें।
- वेरीकोज वेन के लिए पैरों को ऊंचाई पर रखे, पैरों में इलास्टिक पट्टी बांधे जिससे पैरों में खून जमा न हो पाए।
- यदि आप मधुमेह या उच्च रक्तचाप से ग्रसित हैं, तो परहेज, उपचार से नियंत्रण करें।
- शराब, तंबाकू, सिगरेट, नशीले तत्वों का सेवन नहीं करें।
-सही नाप के आरामदायक, मुलायम जूते पहनें।
- अपना वजन घटाएं। रोज सैर पर जाएं या जॉगिंग करें। इससे टांगों की नसें मजबूत होती हैं।
- फाइबर युक्त भोजन करें जैसे चपाती, ब्राउन ब्रेड, सब्जियां व फल। मैदा व पास्ता जैसे रिफाइंड फूड का सेवन न करें।
- लेटते समय अपने पैरों को ऊंचा उठा कर रखें। पैरों के नीचे तकिया रख लें, इस स्थिति में सोना बहुत फायदेमंद रहता है।
भोजन :
- भोजन में नीबू-पानी, नारियल-पानी, फलों - विशेषकर मौसमी, अनार, सेब, पपीता केला आदि शामिल करें।
- सब्जिओं में पालक, टमाटर, सलाद, फलियाँ, आलू, गाजर, चाकुँदर आदि का खूब सेवन करें।
- 2-3 अखरोट की गिरि, 2-5 पिस्ता, 5-10 बादाम की गिरि, 5-10 किशमिश का रोज़ सेवन करें।
- अगर आप मांसाहारी हैं तो मछली का सेवन लाभदायक है।
- चिकित्सक से परामर्श लें :
पैरों में दर्द के साथ सूजन, लाली हो और बुखार आ रहा हो, पैर नीला या काला हो गया हो या फिर पैर ठंडा या पीला पड़ गया हो और घरेलू उपचार से राहत नहीं मिल पा रही हो, तो ऎसी स्थिति में चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है।
- पैरों के तलवों पर एक्यूप्रेशर रोलर करनें से दर्द से राहत मिलती है। इस क्रिया में पैरों को रोलर पर रखकर धीरे-धीरे घुमाएं। यह क्रिया दिन में 5-7 बार करनी चाहिए। इसे दो मिनट तक करना पर्याप्त रहता है। रोलर करने से पहले तलवों पर हल्का पाउडर लगाएं। इससे एक्यूप्रेशर आसानी से होगा।
मालिश : पैरों को दबाने या मालिश करने से आराम मिलता है। मालिश करते समय दोनों पैरों के तलवों की ओर अंगूठे के बिल्कुल नीचे पड़ने वाले बिंदु पर दबाव दें। अब पैरों के ऊपर छोटी उंगली के नीचे पड़ने वाले तीन बिंदुओं पर दबाव दें। पैरों के नीचे एड़ी पर पड़ने वाले तीन मास्टर बिंदुओं पर प्रेशर दें।
मालिश के लिए कोई भी तेल काम में लिया जा सकता है। दिन में दो-तीन बार 15-15 सेकंड तक प्रेशर करें और मालिश करें। 2-3 सप्ताह में आपको आराम मिलने लगेगा।
बचाव :
खून में ग्लूकोस की मात्रापर नियंत्रण रखें - यानी की मधुमेह को नियंत्रित रखें. मध्यम
- तीव्रता के व्यायाम करें, जिससे पेशियां, हडि्डयां मजबूत हों और जोड़ लचीले।
- संतुलित भोजन का सेवन करें।
- भोजन में वसा का सेवन कम कपैरों और टांगों में नसों का ऐंठन


निम्बू है कई बिमारियों का इलाज




नींबू : गुण में मीठा, स्वाद में खट्टा
* सुबह-शाम एक गिलास पानी में एक नींबू
निचोड़कर पीने से मोटापा दूर होता है।
* बवासीर (पाइल्स) में रक्त आता हो तो नींबू
की फांक में सेंधा नमक भरकर चूसने से
रक्तस्राव बंद हो जाता है।
* आधे नींबू का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर
चाटने से तेज खाँसी, श्वास व जुकाम में लाभ
होता है।
* नींबू ज्ञान तंतुओं की उत्तेजना को शांत
करता है। इससे हृदय की अधिक धड़कन सामान्य
हो जाती है। उच्च रक्तचाप के रोगियों की
रक्तवाहिनियों को यह शक्ति देता है।
* एक नींबू के रस में तीन चम्मच शकर, दो चम्मच
पानी मिलाकर, घोलकर बालों की जड़ों में
लगाकर एक घंटे बाद अच्छे से सिर धोने से
रूसी दूर हो जाती है व बाल गिरना बंद हो
जाते हैं।
* एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़कर
सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम दो बार नित्य
एक महीना पीने से पथरी पिघलकर निकल जाती
है।
* नींबू को तवे पर रखकर सेंक लें (दो भाग
करके)। उस पर सेंधा नमक डालकर चूसें। इससे
पित्त की दिक्कत खत्म होती है।

कम उम्र में सफेद हुए बालों को काला करने के 25 घरेलू नुस्खे





कम उम्र में बाल सफेद होना आजकल एक आम समस्या है। इस
समस्या के सबसे मुख्य कारण फास्ट लाइफ कल्चर में बालों
की ठीक से देखभाल न हो पाना और
प्रदूषण आदि हैं। ऐसे में कम उम्र में आई सफेदी को
छुपाने के लिए डाई करना या कलर करना ही एकमात्र
विकल्प नहीं है।कुछ घरेलू नुस्खे आजमा कर
भी सफेद बालों को काला किया जा सकता है। हम आपको
बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही सिंपल घरेलू फंडे जिनसे
आप कम उम्र में सफेद हुए बालों को फिर से काला बना सकते हैं।
1. तुरई को काटकर नारियल तेल में उबालें व जब तुरई
काली हो जाए, तब उसे छानकर किसी बोतल
में भर लें। रोजाना इस तेल को बालों में लगाएं। धीरे-
धीरे बाल काले होने लगेंगे।
2. तिल का तेल तो बालों के लिए अच्छा होता ही है।
साथ ही, इसका सेवन भी बहुत लाभ
पहुंचाता है। यदि आप अपने भोजन में तिल को शामिल कर लें तो
आपके बाल लंबे समय तक काले और घने बने रहेंगे।
3. सिर धोने के लिए शिकाकाई पाउडर या माइल्ड शैम्पू का इस्तेमाल
करें।
4. एक कप चाय का पानी उबालकर उसमें एक चम्मच
नमक मिलाएं। इस मिश्रण को बाल धोने से एक घंटे पहले बालों में
लगाएं। बाल काले होने लगेंंगे।
5. नारियल तेल में ताजे आंवला को इतना उबाले कि वह काला हो जाए।
इस मिश्रण को ठंडा करके रात को सोने से पहले बालों में लगा लें व
सुबह बाल धोएं।
6. अदरक को पीसकर उसमें थोड़ा शहद मिलाकर पेस्ट
बनाएं और अपने सिर पर लगाएं। इस उपाय को रोजाना अपनाने से
सफेद बाल फिर से काले होने लगते हैं।
7. बालों में रोजाना सरसों का तेल लगाने से बाल हमेशा काले रहेंगे।
8. नारियल तेल में मीठे नीम
की पत्तियां को इतना उबाले की पत्तियां
काली हो जाएं। इस तेल के हल्के हाथों से बालों
की जड़ों पर लगाएं। बाल घने व काले हो जाएंगे।
9. रोजाना खाली पेट आंवले का जूस पिएं। बाल
लंबी उम्र तक काले रहेंंगे।
10. सूखे आंवले को पानी में भिगोकर उसका पेस्ट बना
लें। इस पेस्ट में एक चम्मच युकेलिप्टस का तेल मिलाएं। मिश्रण को
एक रात तक लोहे के बर्तन में रखें। सुबह इसमें
दही, नींबू का रस व अंडा मिलाकर बालों पर
लगाएं। बालों में नई जान आ जाएगी। 15 दिन तक यह
प्रयोग करने से सफेद बाल काले होने लगते हैं।
11. आंवला जूस, बादाम तेल व नींबू का जूस मिलाकर
बालों की जड़ों में लगाएं बालों में चमक आ
जाएगी व सफेद भी नहीं
होंगे।
12. बालों में एलोवेरा जेल लगाने से भी बाल गिरना बंद हो
जाते हैं और जल्दी सफेद नहीं होते।
13. रोजाना सुबह थोड़ी मात्रा में आंवला जूस लेने से
भी बाल लंबी उम्र तक काले बने रहते
हैं।
14. कम उम्र में सफेद होते बालों पर एक ग्राम काली
मिर्च में थोड़ा दही मिलाकर सिर में लगाने से
भी लाभ होता है।
15. गाय के दूध का मक्खन लेकर हल्के हाथों से बालों
की जड़ों में लगाएं। जल्द ही फायदा दिखने
लगेगा।
16. आपने अपने घर के बुजुर्गों को सिर पर देसी
घी से मालिश करते हुए देखा होगा। घी से
सिर की त्वचा को पोषण मिलता है। प्रतिदिन
घी से सिर की मालिश करके भी
बालों के सफेद होने की समस्या से छुटकारा पाया जा
सकता है।
17. 2 चम्मच हिना पाउडर, 1 चम्मच दही, 1
चम्मच मेथी, 3 चम्मच कॉफी, 2 चम्मच
तुलसी पाउडर, 3 चम्मच पुदीना पेस्ट
मिलाकर बालों में लगाएं। तीन घंटे बाद शैम्पू करें। कम
उम्र में सफेद हुए बाल फिर काले हो जाएंगे।
18. मेहंदी को नारियल तेल में मिलाकर पेस्ट बना लें।
इस पेस्ट को बालों में लगाने से बालों का रंग आकर्षक डार्क-ब्राउन
होने लगता है।
19. 200 ग्राम आंवला, 200 ग्राम भांगरा, 200 ग्राम
मिश्री, 200 ग्राम काले तिल इन सभी का
चूर्ण बनाकर रोजाना 10 ग्राम मात्रा में लेने से कम उम्र में सफेद
हुए बाल फिर से काले होने लगेंगे।
20. बाल धोने में नींबू पानी का उपयोग करें।
इससे बाल नेचुरली ब्राउन होने लगते हैं व सफेद
नहीं होते हैं।
21. नींबू का रस और नारियल तेल मिलाकर स्कल्प पर
नियमित रूप से लगाने पर बाल काले होते हैं।
22. आंवला व आम की गुठली को
पीसकर उसे सिर में लगाने से सफेद बाल काले हो
जाएंगे।
23. बालों में नीम का तेल व रोज मेरी तेल का
इस्तेमाल करने से बाल सफेद नहीं होते हैं।
24. प्याज का रस निकालकर उसे बालों की जड़ों में
हल्के हाथों से लगाएं बाल घने व काले होने लगेंगे।
25. आंवला पाउडर में नींबू का रस मिलाकर या ताजे हरे
आंवले को पीसकर सिर में लगाने से बाल घने व काले हो
जाते हैं।

लहसुन के अनेक फायदे :



लहसुन सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता बल्कि शरीर के लिए एक औषधी की तरह भी काम करता है।इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए,बी व सी भी पाए जाते हैं। लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। भोजन में किसी भी तरह इसका सेवन करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है आज हम बताने जा रहे हैं आपको औषधिय गुण से भरपूर लहसुन के कुछ ऐसे ही नुस्खों के बारे में जो नीचे लिखी स्वास्थ्य समस्याओं में रामबाण है।


1-- 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने और आठ-दस लहसुन की कुली डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। जब लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें और बोतल में भर दें। इस तेल को गुनगुना कर इसकी मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है।


2-- लहसुन की एक कली छीलकर सुबह एक गिलास पानी से निगल लेने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है।साथ ही ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।


3-- लहसुन डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है।


4-- खांसी और टीबी में लहसुन बेहद फायदेमंद है। लहसुन के रस की कुछ बूंदे रुई पर डालकर सूंघने से सर्दी ठीक हो जाती है।


5-- लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली लीटर दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।


6-- लहसुन की दो कलियों को पीसकर उसमें और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे सिर्फ मुहांसों पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।


7-- लहसुन की दो कलियां पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें और ठंडा करके सुबह शाम कुछ दिन पीएं दिल से संबंधित बीमारियों में आराम मिलता है।


8-- लहसुन के नियमित सेवन से पेट और भोजन की नली का कैंसर और स्तन कैंसर की सम्भावना कम हो जाती है।


9-- नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर नियमित रहता है। एसीडिटी और गैस्टिक ट्रबल में भी इसका प्रयोग फायदेमंद होता है। दिल की बीमारियों के साथ यह तनाव को भी नियंत्रित करती है।


10-- लहसुन की 5 कलियों को थोड़ा पानी डालकर पीस लें और उसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह -शाम सेवन करें। इस उपाय को करने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।


11- यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है। इसको पीसकर त्वचा पर लेप करने से विषैले कीड़ों के काटने या डंक मारने से होने वाली जलन कम हो जाती है।


12- जुकाम और सर्दी में तो यह रामबाण की तरह काम करता है। पाँच साल तक के बच्चों में होने वाले प्रॉयमरी कॉम्प्लेक्स में यह बहुत फायदा करता है। लहसुन को दूध में उबालकर पिलाने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। लहसुन की कलियों को आग में भून कर खिलाने से बच्चों की साँस चलने की तकलीफ पर काफी काबू पाया जा सकता है। जिन बच्चों को सर्दी ज्यादा होती है उन्हें लहसुन की कली की माला बनाकर पहनाना चाहिए।

13- लहसुन गठिया और अन्य जोड़ों के रोग में भी लहसुन का सेवन बहुत ही लाभदायक है।

लहसुन की बदबू-


अगर आपको लहसुन की गंध पसंद नहीं है कारण मुंह से बदबू आती है। मगर लहसुन खाना भी जरूरी है तो रोजमर्रा के लिये  आप लहसुन को छीलकर या पीसकर दही में मिलाकर खाये तो आपके मुंह से बदबू नहीं आयेगी।  लहसुन खाने के बाद इसकी बदबू से बचना है तो जरा सा गुड़ और सूखा धनिया मिलाकर मुंह में डालकर चूसें कुछ देर तक, बदबू बिल्कुल निकल जायेगी।

पेट की गैस के घरेलू उपचार


पेट की गैस के कारण :

पेट में बैक्टीरिया की ‘ओवरप्रोड्क्शन’ होना।

जिस आहार में बहुत ज्यादा फाइबर होता है।

मिर्च-मसाला, तली-भुनी चीजें ज्यादा खाने से।

पाचन संबंधी विकार।

बींस, राजमा, छोला, लोबिया, मोठ, उड़द की दाल, फास्ट फूड, ब्रेड और किसी-किसी को दूध या भूख से ज्यादा खाने से।

खाने के बाद कोल्ड ड्रिंक लेने से, क्योंकि इसमें गैसीय तत्व होते हैं।

बासी खाना खाने से और खराब पानी पीने से भी गैस हो जाती है।

पेट की गैस के घरेलू उपचार :


  1. भोजन के साथ सलाद के रूप में टमाटर का प्रतिदिन सेवन करना लाभप्रद होता है। यदि उस पर काला नमक डालकर खाया जाये तो लाभ अधिक मिलता है। पथरी के रोगी को कच्चे टमाटर का सेवन नहीं करना चाहिए।
  2. आधा चम्मच सूखा अदरक पाउडर लें और उसमें एक चुटकी हींग और सेंधा नमक मिलाकर एक कप गर्म पानी में डालकर पीएं।
  3. गैस के कारण सिरदर्द होने पर चाय में काली मिर्च पाउडर डालें। वही चाय पीने से लाभ मिलता है।
  4. 2 चम्मच ब्रैंडी को गर्म पानी में कप में डालकर रात को सोने से पहले पिएं।
  5. स्लाइस की हुई कुछ ताजा अदरक नींबू के रस में भिगोकर भोजन के बाद चूमने से राहत मिलेगी।
  6. पेट में या आंतों में एेंठन होने पर एक छोटा चम्मच अजवाइन में थोड़ा नमक मिलाकर गर्म पानी में लेने पर लाभ मिलता है। बच्चों को अजवाइन थोड़ी दें।
  7. भोजन के एक घंटे बाद 1 चम्मच काली मिर्च, 1 चम्मच सूखी अदरक और 1 चम्मच इलायची के दानों को आधा चम्मच पानी के साथ मिलाकर पिएं।
  8. वायु समस्या होने पर हरड़ के चूर्ण को शहद के साथ मिक्स कर खाना चाहिए।
  9. अजवायन, जीरा, छोटी हरड़ और काला नमक बराबर मात्रा में पीस लें। बड़ों के लिए दो से छह ग्राम, खाने के तुरन्त बाद पानी से लें। बच्चों के लिए मात्रा कम कर दें।
  10. अदरक के छोटे टुकड़े कर उस पर नमक छिड़ककर दिन में कई बार उसका सेवन करें। गैस परेशानी से छुटकारा मिलेगा, शरीर हल्का होगा और भूख खुलकर लगेगी।

बालों की रूसी को ऐसे करें दूर


1. नारियल के तेल में निम्बू का रस पकाकर रोजाना सर की मालिश करें.

2. पानी में भीगी मूंग को पीसकर नहाते समय शेम्पू की जगह प्रयोग करें.

3. मूंग पावडर में दही मिक्स करके सर पर एक घंटा लगाकर धो दें.

4. रीठा पानी में मसलकर उससे सर धोएं.

5. मछली, मीट अर्थात nonveg त्यागकर केवल पूर्ण शाकाहारी भोजन का प्रयोग भी आपकी सर की रूसी दूर करने में सहायक होगा.

सर दर्द से राहत के लिए करें ये घरेलु उपचार



1. तेज़ पत्ती की काली चाय में निम्बू का रस निचोड़ कर पीने से सर दर्द में अत्यधिक लाभ होता है.

2 .नारियल पानी में या चावल धुले पानी में सौंठ पावडर का लेप बनाकर उसे सर पर लेप करने भी सर दर्द में आराम     पहुंचेगा.

3. सफ़ेद चन्दन पावडर को चावल धुले पानी में घिसकर उसका लेप लगाने से भी फायेदा होगा.

4. सफ़ेद सूती का कपडा पानी में भिगोकर माथे पर रखने से भी आराम मिलता है.

5. लहसुन पानी में पीसकर उसका लेप भी सर दर्द में आरामदायक होता है.

6. लाल तुलसी के पत्तों को कुचल कर उसका रस दिन में माथे पर २ , ३ बार लगाने से भी दर्द में राहत देगा.

7. चावल धुले पानी में जायेफल घिसकर उसका लेप लगाने से भी सर दर्द में आराम देगा.

8. हरा धनिया कुचलकर उसका लेप लगाने से भी बहुत आराम मिलेगा.

9 .सफ़ेद  सूती कपडे को सिरके में भिगोकर माथे पर रखने से भी दर्द में राहत मिलेगी.